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कपड़े






















अरे, आज तो आपको अच्छे-अच्छे कपड़े पहनकर आना चाहिए था!
कहां फ़ंसे महात्माजी! अपने मतलब की बात एक बच्चा भी समझता है। फ़िर अच्छे-अच्छे कपड़े पहनने से व्यक्तित्व भी संवरता है। औरों को उपदेश देने वाले को एक बच्चा शिक्षा दे, होली की मज़बूरी है बाबा!

इशारा



















कुछ लोग काटने वाले जीव पालने का शौक रखते हैं तो कुछ लोगों का रोजगार डंक मारने वाले जीवों के पालना बन गया है। लेकिन समझदार को इशारा काफ़ी वाले अंदाज़ में इस रोज़गार का रंगों से बचने के लिए धमकाने में भी योगदान शामिल हो गया है।

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निबन्ध












होली के मौके पर इसकी दस्तक पाठशाला में भी लग जाती है। आपस में रंग-स्याही का आदान-प्रादान तो होता ही है...कभी-कभी निबन्ध भी स्याही-पेन से लिखने की बजाय रंग से बना दिया जाता है। सबूत हाज़िर है...

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वार











रंगों के वार भी तरह-तरह के होते हैं। कुछ लोग इसमें अक्ल का इस्तेमाल भी कर डालते हैं, भले ही यह बचकाना या बच्चों का काम हो। बच्चे तो बचकाना काम करेंगे ही। पर क्या सचमुच यह बचकाना काम है?

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