होली के मौके पर इसकी दस्तक पाठशाला में भी लग जाती है। आपस में रंग-स्याही का आदान-प्रादान तो होता ही है...कभी-कभी निबन्ध भी स्याही-पेन से लिखने की बजाय रंग से बना दिया जाता है। सबूत हाज़िर है...कार्टून और भी हैं, देखेंगे...क्लिकिए यहां!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें